Site icon NM5Hindi.com

प्लास्टिक की चाय की थैलियों से स्वास्थ्य को खतरा: हर कप में छिपे हैं अरबों सूक्ष्म कण

प्लास्टिक टी बॅग्स

आज की व्यस्त जीवनशैली में चाय की एक प्यारी सी चुस्की हमारे दिन की शुरुआत को खास बना देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी इस प्यारी चाय में एक छिपा हुआ खतरा लुका हो सकता है? बार्सिलोना की स्वायत्त विश्वविद्यालय (यूएबी) के वैज्ञानिकों ने एक चौंकाने वाला शोध किया है, जिसमें पता चला है कि प्लास्टिक की चाय की थैलियों से हर कप में अरबों सूक्ष्म प्लास्टिक के कण घुल जाते हैं।

शोध से सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

वैज्ञानिकों के नवीनतम शोध से पता चला है कि विभिन्न प्रकार की चाय की थैलियों से अलग-अलग मात्रा में सूक्ष्म कण निकलते हैं। सबसे अधिक खतरनाक पॉलीप्रोपाइलीन की थैलियां हैं, जिनसे प्रति मिलीलीटर लगभग 1.2 अरब कण निकलते हैं। इसके बाद सेल्युलोज की थैलियों से प्रति मिलीलीटर 135 मिलियन कण और नायलॉन-6 की थैलियों से प्रति मिलीलीटर 8.18 मिलियन कण निकलते हैं। ये सूक्ष्म कण दो श्रेणियों में आते हैं – माइक्रोप्लास्टिक, जो 1 से 1000 माइक्रोमीटर के आकार के होते हैं, और नैनोप्लास्टिक, जो 1 से 1000 नैनोमीटर के आकार के होते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि जितने छोटे कण होते हैं, वे उतने ही अधिक खतरनाक होते हैं, क्योंकि वे हमारी कोशिकाओं में आसानी से प्रवेश कर सकते हैं।

स्वास्थ्य पर हो सकता है गहरा प्रभाव

शोध में सामने आया है कि ये सूक्ष्म कण हमारे शरीर में कई स्तरों पर नुकसान पहुंचा सकते हैं। सबसे पहले, ये हमारी पाचन प्रणाली की कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं। विशेष रूप से चिंताजनक यह है कि ये कण कोशिकाओं के नाभिक तक पहुंच सकते हैं, जहां हमारा आनुवंशिक पदार्थ स्थित होता है। म्यूकस उत्पादन करने वाली आंत कोशिकाएं इन कणों को विशेष रूप से अधिक मात्रा में अवशोषित करती हैं। इससे कोशिकाओं के माइटोकॉन्ड्रिया में ऊर्जा उत्पादन प्रभावित होता है, डीएनए को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ता है, और कैंसर का जोखिम भी बढ़ सकता है। साथ ही, ये कण एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करके हार्मोन असंतुलन भी पैदा कर सकते हैं।

सुरक्षित विकल्प क्या है?

हालांकि यह जानकारी चिंताजनक है, लेकिन इसका समाधान भी मौजूद है। खुली चाय का प्रयोग करके और धातु के जाली वाले इन्फ्यूजर का इस्तेमाल करके आप इस समस्या से बच सकते हैं। आजकल बाज़ार में पीएलए यानी पौधों से बनी चाय की थैलियां भी उपलब्ध हैं। कई प्रतिष्ठित ब्रांड्स जैसे पुक्का और नील्स यार्ड ने प्लास्टिक-मुक्त चाय की थैलियों की श्रेणी शुरू की है। इन विकल्पों का चयन करके आप न केवल अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा में भी योगदान दे सकते हैं।

भविष्य की राह और जागरूकता

इस शोध से प्राप्त जानकारी के आधार पर कई नियामक परिवर्तनों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। खाद्य संपर्क सामग्री के लिए मानकीकृत परीक्षण विधियों की आवश्यकता है, खाद्य पैकेजिंग में प्लास्टिक के उपयोग पर कड़े नियमों की जरूरत है, और निर्माण प्रक्रियाओं में अधिक पारदर्शिता की मांग की जा रही है। उपभोक्ता के रूप में हम पर्यावरण के प्रति जागरूक ब्रांड्स का चयन कर सकते हैं, टिकाऊ सामग्री का उपयोग करने वाली कंपनियों का समर्थन कर सकते हैं, और सुरक्षा मानकों को मजबूत करने की वकालत कर सकते हैं।

संदर्भ तालिका

चाय की थैलियों से निकलने वाले सूक्ष्म कणों की मात्रा

थैली का प्रकारप्रति मिलीलीटर कणों की संख्या
पॉलीप्रोपाइलीन1.2 अरब
सेल्युलोज135 मिलियन
नायलॉन-68.18 मिलियन

प्लास्टिक कणों का आकार और प्रभाव

कण का प्रकारआकारप्रभाव
माइक्रोप्लास्टिक1-1000 माइक्रोमीटरकोशिकाओं में प्रवेश
नैनोप्लास्टिक1-1000 नैनोमीटरडीएनए तक पहुंच

स्वास्थ्य जोखिम और प्रभाव

प्रभावित क्षेत्रसंभावित जोखिम
कोशिकीय स्तरऊर्जा उत्पादन में बाधा
आनुवंशिक स्तरडीएनए क्षति
हार्मोनल स्तरएंडोक्राइन व्यवस्था में गड़बड़ी
रक्त संचाररक्त प्रवाह में प्रवेश

[नोट: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से है और इसे चिकित्सकीय सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए।]

Exit mobile version